दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद
निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य
(जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में )
दिनांक : 16-17 जनवरी 2026
आप लोगों को बताते हुए खुशी हो रही है कि ICSSR, नई दिल्ली एवं हिन्दी विभाग, के एम् अग्रवाल महाविद्यालय, कल्याण - पश्चिम, महाराष्ट्र के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 16-17 जनवरी 2026 को दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया जा रहा है।
अमरकांत जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित होनेवाले इस परिसंवाद का मुख्य विषय है -
"निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य।"
परिसंवाद हेतु अमरकांत के साहित्य पर केंद्रित शोधालेख आमंत्रित हैं ।
शोधालेख मौलिक और अप्रकाशित होने चाहिए।
शोधालेख कम से कम 1500 शब्दों और अधिकतम 3000 शब्दों का ही हो ।
शोधालेख यूनिकोड मंगल में फ़ॉन्ट साईज 12 के साथ टाईप कर वर्ड फाइल के रूप में manishmuntazir@gmail.com इस ईमेल पर 30 सितंबर 2025 तक भेजे जा सकते हैं।
चुने हुए आलेखों को ISBN पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा ।
शोधालेख लिखने के लिए कुछ उप विषय निम्नलिखित हैं । इन विषयों के अतिरिक्त भी किसी विषय पर संयोजक की अनुमति से आलेख लिखे जा सकते हैं।
अमरकांत की कहानियों में निम्न मध्यवर्गीय मनोविज्ञान ।
‘जिंदगी और जोंक’ और 'हत्यारे' जैसे पात्रों के माध्यम से सामाजिक अन्याय की पड़ताल ।
आर्थिक संकट और नैतिक द्वंद्व: अमरकांत के पात्रों की आंतरिक संघर्ष गाथा
अमरकांत और प्रेमचंद: यथार्थवादी परंपरा का विकास
नारी और निम्न मध्यवर्ग: अमरकांत की कहानियों में स्त्री संवेदना
शहरीकरण, बेरोजगारी और विस्थापन का चित्रण
अमरकांत की दृष्टि में सांप्रदायिकता और सामाजिक तटस्थता
हिंदी कथा साहित्य में 'सामान्यजन' का उद्भव: अमरकांत के संदर्भ में
विकास और मूल्यहीनता के बीच फंसा समाज: अमरकांत की दृष्टि से
वर्तमान कहानी लेखन में अमरकांत की छाया और प्रभाव
कहानी में भाषा और शैली: अमरकांत की सहजता और कथ्य की प्रामाणिकता
हाशिए के लोग, हाशिए की भाषा: अमरकांत और सामाजिक समरसता
नवउदारवादी समय में अमरकांत का साहित्यिक प्रतिरोध
पत्रकारिता से साहित्य तक: अमरकांत की वैचारिक यात्रा
अमरकांत की कहानियों का दृश्यात्मक विश्लेषण: रंगमंच और फिल्म
https://docs.google.com/forms/d/1zv0on0sb9R_biNJe6dtUNxcfF3Kp-cMTManIXhx2nTc/viewform
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