Tuesday, August 24, 2021

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती - सोहनलाल द्विवेदी SYBA

 



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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

सोहनलाल द्विवेदी का जन्म फतेहपुर जिले के बिंदकी गांव में हुआ। इन्होंने हिंदी में एम.ए. किया तथा संस्कृत का भी अध्ययन किया। इन्होंने आजीवन निष्काम भाव से साहित्य सर्जना की। द्विवेदीजी गांधीवादी विचारधारा के प्रतिनिधि कवि हैं। ये अपनी राष्ट्रीय तथा पौराणिक रचनाओं के लिए सम्मानित हुए। इनके मुख्य काव्य-संग्रह हैं- 'भैरवी, 'वासवदत्ता, 'पूजागीत, 'विषपान और 'जय गांधी। इनके कई बाल काव्य संग्रह भी प्रकाशित हुए, जिनमें ’दूध-बतासा’ उल्लेखनीय है।। ये 'पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित हुए। महात्मा गाँधी न केवल उनके काव्यादर्श थे,अपितु पराधीन भारत की राष्ट्रीय आशाओं-आकांक्षाओं के एकमात्र प्रतीक थे। उनका काव्यपाठ भी बहुत ओजस्वी होता था। उनका 'खादीगीत' पार्षदजी के झंडागीत के साथ गाया जाता था। एक बार वे बिंदकी में ही थे कि मीडिया में उनकी मृत्यु का समाचार आ गया।देश भर में बहुत बावेला मचा था। उनके संलग्न गीत को भी बच्चन जी का गीत कहकर प्रचारित किया गया था ,लेकिन जब तथ्य सामने आया ,तो दावा करनेवालों को माफी मांगनी पडी। उनका लम्बा गीत 'ऐ लाल किले पर झंडा फहरनेवालों /सच कहना कितने साथी साथ तुम्हारे हैं।' प्रधानमंत्री नेहरू की रीति- नीति पर सीधा प्रहार है।

जन्म22 फ़रवरी 1906
 निधन01 मार्च 1988
 जन्म स्थानग्राम बिन्दकी, फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
 कुछ प्रमुख कृतियाँ
भैरवी, वासवदत्ता, पूजागीत, विषपान, जय गांधी।

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