Monday, June 8, 2020

वेबिनारों की वैधता और उपयोगिता का प्रश्न ।

वेबिनारों की वैधता और उपयोगिता का प्रश्न ।

साथियों,
वेबिनारों की वैधता और उपयोगिता की चर्चा जोड़ पकड़ रही है । कुछ अख़बार की खबरें भी सोशल मीडिया पर प्रचारित प्रसारित की जा रही हैं । हमारे कई शोध छात्र व मित्र जानना चाहते हैं कि वेबिनारों से प्राप्त ई प्रमाणपत्र किसी काम आएंगे या नहीं ?
इस संदर्भ में कुछ बातें रखना चाहूंगा । शायद आप को ठीक लगे ।
1. सबसे पहली बात तो यह कि किसी भी संगोष्ठी को वैधता देने का काम UGC या ऐसी अन्य सरकारी संस्थाओं द्वारा नहीं किया जाता । ये संगोष्ठियों का आर्थिक संपोषन अवश्य करती रही हैं । जिसके लिए उनकी शर्तें लागू रहती थी । ऐसी ही कई अन्य संस्थाओं के द्वारा भी अनुदान की व्यवस्था रही है । इनमें सरकारी व गैर सरकारी संगठनों का समावेश रहा है । देश भर में जितनी संगोष्ठियों का आयोजन होता है उनको वैधता देने का काम इन्होंने कभी नहीं किया और ना ही इसकी कोई केंद्रीकृत व्यवस्था ही कभी रही ।
दरअसल शोध छात्र जब वैधता का प्रश्न उठाते हैं तो उनकी इच्छा यह जानने की होती है कि साक्षात्कार के समय इन ई प्रमाणपत्रों के अंक मिलेंगे या नहीं ? प्राध्यापक साथी मूल रूप से यह जानना चाहते हैं कि इन ई प्रमाणपत्रों का फायदा  उन्हें API में मिलेगा कि नहीं ?
इस संदर्भ में जितना मैं समझ पा रहा हूं उन्हें बिलकुल फ़ायदा मिलेगा । ऐसा इसलिए क्योंकि इस संदर्भ में कोई सरकारी गजट या नोटिफिकेशन भी जारी होने की सूचना अभी तक नहीं है। बल्कि वेबिनारों के लिए सरकारी संगठनों से अनुदान मिलने की सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं ।
ऑनलाईन RC / OC / FDP देश भर में  मान्यता प्राप्त सरकारी संस्थाओं द्वारा कराए जा रहे हैं । यह सब स्पष्ट करता है कि ई संगोष्ठियों से प्राप्त प्रमाणपत्रों की कोई उपयोगिता नहीं, ऐसी खबरें अति उत्साह में बिना तथ्यों के साझा की जा रही हैं ।
किसी के कहने या न कहने से कोई प्रक्रिया वैध या अवैध नहीं हो जाती । उसके लिए प्रमाण की आवश्यकता होती है । अगर ई पत्रिकाओं को सरकार प्रामाणिक मानती है, ई परीक्षाओं को/ मूक्स के पाठ्यक्रम को प्रामाणिक मानती है, ई RC/OC/FDP को प्रामाणिक मानती है तो निश्चित रूप से वेबिनारों की प्रामाणिकता को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए ।
लेकिन विद्यार्थियों और सहधर्मी बंधुओं से एक अनुरोध यह भी करना चाहूंगा कि
1. प्रमाणपत्र जमा करने की अंधी दौड़ में शामिल होने से बचिये । इनके लाभ की अधिकतम सीमा निर्धारित है ( API Capping) अतः आप को अनावश्यक श्रम से बचना चाहिए ।
2. एक दिन में एक से अधिक ई संगोष्ठियों की सहभागिता भी तार्किक और व्यावहारिक नहीं लगती । अतः इससे भी बचें ।
3. अपने रुचि के विषय को प्रमुखता दें और अपनी सहभागिता को अकादमिक गंभीरता दें ।
4. किसी के कहने या अख़बार की ख़बरों को प्रामाणिक दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार न करें ।
5. संगोष्ठियों का सबसे बड़ा लाभ अपने ज्ञान में वृद्धि करना, तर्क क्षमता को बढ़ाना एवं अपने से वरिष्ठ गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है । प्रमाणपत्र और API की दौड़ में इस मूल बात को न भूलें ।
       मेरी कोई बात बुरी लगी हो तो क्षमा करें ।
       मुझसे जुड़ने के लिए आप मेरे यूट्यूब चैनल से जुड़ सकते हैं ।
                           डॉ मनीष कुमार मिश्रा
                            कल्याण, महाराष्ट्र ।
https://www.youtube.com/user/manishmuntazir

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