भिलार : किताब गांव के तीन साल पूरे ।
आज है जागतिक मराठी दिवस ।
महाराष्ट्र के सतारा जिले अंतर्गत प्रसिद्ध तालुका है महाबलेश्वर । इसी प्रसिद्ध हिल स्टेशन की गोंद में एक 3000 से 4000 की आबादी का छोटा सा गांव है भिलार । स्ट्राबेरी की खेती यहां का मुख्य व्यवसाय है ।
गांव में करीब 500 परिवार रहते हैं । 27 फ़रवरी वर्ष 2015 को महाराष्ट्र के तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री विनोद तावड़े जी ने जगतिक मराठी दिवस के अवसर पर "पुस्तकांचे गांव" की संकल्पना प्रस्तुत की और इसके लिए चुनाव किया इसी भिलार गांव का ।
राज्य मराठी विकास परिषद, महाराष्ट्र सरकार और कुछ गैर सरकारी संगठनों की सहायता से यह संकल्पना पूरी हुई । जिसका उद्घाटन तत्कालीन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस ने 04 मई 2017 को किया ।
सरकार की तरफ से करीब 15000 पुस्तकें उपलब्ध कराई गई । गांव वालों की स्वेच्छा से गांव में करीब 25 जगहों पर घर, स्कूल और मंदिर के अहाते में पुस्तकों को रखने का प्रबन्ध किया गया । पुस्तकें रखने के लिए आलमारी, कुर्सियां, छाया छतरियां इत्यादि की भी व्यवस्था सरकार की तरफ से की गई ।
आज तीन साल के बाद गांव में किताबों की संख्या 30000 के पार पहुंच चुकी हैं । गांव में किताबों के रखने के उपकेंद्र 25 से बढ़कर 35 हो चुके हैं । इन तीन सालों में करीब तीन लाख पर्यटक और पुस्तक प्रेमी इस किताब गांव को देखने के लिए आये । अब यहां मराठी के अतिरिक्त अंग्रेजी और हिंदी की किताबें भी उपलब्ध हैं । आडियो पुस्तकों की भी व्यवस्था की जा रही है । डिजिटल रूप में कई किताबों को उपलब्ध कराने की योजना पर भी काम हो रहा है ।
आज इस किताब गांव को पूरे तीन साल हो गए । आज जागतिक मराठी दिवस है । विश्व में बोली जाने वाली 5500 भाषाओं में मराठी 15वें नंबर पर है । भारतीय भाषाओं में यह चौथे नंबर पर है । हिंदी और मराठी में भाषाई आदान प्रदान की अच्छी परंपरा है ।
इस अवसर पर मराठी दिवस की शुभकामनाएं और भीलार जैसे नूतन प्रयोग की भी बधाई । ऐसे रचनात्मक प्रयासों की सराहना भी होनी चाहिए और इनकी संख्या भी बढ़नी चाहिए ।
आप महाबलेश्वर और पंचगनी जब भी जाएं तो इस किताब गांव को भी अवश्य देखें ।
जागतिक मराठी दिवस की पुनः शुभकामनाएं ।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
कल्याण पश्चिम, महाराष्ट्र ।
चित्र गूगल के सौजन्य से ।
आज है जागतिक मराठी दिवस ।
महाराष्ट्र के सतारा जिले अंतर्गत प्रसिद्ध तालुका है महाबलेश्वर । इसी प्रसिद्ध हिल स्टेशन की गोंद में एक 3000 से 4000 की आबादी का छोटा सा गांव है भिलार । स्ट्राबेरी की खेती यहां का मुख्य व्यवसाय है ।
गांव में करीब 500 परिवार रहते हैं । 27 फ़रवरी वर्ष 2015 को महाराष्ट्र के तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री विनोद तावड़े जी ने जगतिक मराठी दिवस के अवसर पर "पुस्तकांचे गांव" की संकल्पना प्रस्तुत की और इसके लिए चुनाव किया इसी भिलार गांव का ।
राज्य मराठी विकास परिषद, महाराष्ट्र सरकार और कुछ गैर सरकारी संगठनों की सहायता से यह संकल्पना पूरी हुई । जिसका उद्घाटन तत्कालीन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस ने 04 मई 2017 को किया ।
सरकार की तरफ से करीब 15000 पुस्तकें उपलब्ध कराई गई । गांव वालों की स्वेच्छा से गांव में करीब 25 जगहों पर घर, स्कूल और मंदिर के अहाते में पुस्तकों को रखने का प्रबन्ध किया गया । पुस्तकें रखने के लिए आलमारी, कुर्सियां, छाया छतरियां इत्यादि की भी व्यवस्था सरकार की तरफ से की गई ।
आज तीन साल के बाद गांव में किताबों की संख्या 30000 के पार पहुंच चुकी हैं । गांव में किताबों के रखने के उपकेंद्र 25 से बढ़कर 35 हो चुके हैं । इन तीन सालों में करीब तीन लाख पर्यटक और पुस्तक प्रेमी इस किताब गांव को देखने के लिए आये । अब यहां मराठी के अतिरिक्त अंग्रेजी और हिंदी की किताबें भी उपलब्ध हैं । आडियो पुस्तकों की भी व्यवस्था की जा रही है । डिजिटल रूप में कई किताबों को उपलब्ध कराने की योजना पर भी काम हो रहा है ।
आज इस किताब गांव को पूरे तीन साल हो गए । आज जागतिक मराठी दिवस है । विश्व में बोली जाने वाली 5500 भाषाओं में मराठी 15वें नंबर पर है । भारतीय भाषाओं में यह चौथे नंबर पर है । हिंदी और मराठी में भाषाई आदान प्रदान की अच्छी परंपरा है ।
इस अवसर पर मराठी दिवस की शुभकामनाएं और भीलार जैसे नूतन प्रयोग की भी बधाई । ऐसे रचनात्मक प्रयासों की सराहना भी होनी चाहिए और इनकी संख्या भी बढ़नी चाहिए ।
आप महाबलेश्वर और पंचगनी जब भी जाएं तो इस किताब गांव को भी अवश्य देखें ।
जागतिक मराठी दिवस की पुनः शुभकामनाएं ।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
कल्याण पश्चिम, महाराष्ट्र ।
चित्र गूगल के सौजन्य से ।
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