Friday, November 29, 2019

A note on the outcome of the Conference


 A note on the outcome of the Conference
 
                             दिनांक 20-21 सितंबर 2019 को कल्याण पश्चिम स्थिति के. एम. अग्रवाल महाविद्यालय में भारत का क्षेत्रीय सिनेमा विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अंतर्विषयी परिसंवाद संपन्न हुआ । यह परिसंवाद ICSSR-IMPRESS  द्वारा संपोषित था ।
                           उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डॉ रामजी तिवारी जी ने की । प्रबंधन समिति के संयुक्त सचिव श्री रामशंकर तिवारी, कोषाध्यक्ष श्री दिनेश सोमानी,न्यासी श्री राजू गवली, श्री अनिल पंडित, श्री कांतिलाल जैन जी उपस्थित थे । केंद्रिय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर नंद किशोर पांडेय जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे । महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष प्रोफ़ेसर शीतला प्रसाद दुबे, बिड़ला महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ आर पी त्रिवेदी , हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री आलोक पांडेय, पुणे विश्विद्यालय के हिंदी विभाग प्रमुख प्रोफेसर सदानंद भोसले जी, वरिष्ठ लेखिका ड्रा शशिकला राय, श्री सुनील देवधर समेत कई गणमान्य इस अवसर पर उपस्थित रहे । बीज भाषण प्रोफेसर इंद्रनील भट्टाचार्य ने दिया । परिसंवाद का संचालन परिसंवाद के संयोजक डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने किया ।
                        लगभग 116 शोध आलेख हिंदी,मराठी और अंग्रेज़ी भाषा के इस परिसंवाद में देश - विदेश से प्राप्त हुए। अवधी,भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी, हरियाणवी, बांग्ला, असमिया, सिंधी,मराठी, मालेगांव,हिंदी,तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़ और पहाड़ी सिनेमा से संबंधित प्रस्तुत होनेवाले शोध आले खों ने इस आयोजन को सफल बनाने में सार्थक भूमिका नि भायी। देश भर के कई महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के शोध छात्र भी बड़ी संख्या में सहभागी हो रहे हैं। फ़िल्म निर्माण से जुड़े कई वरिष्ठ लोगों इस आयोजन में सम्मिलित हुए ।
                   
                       कोलकाता से प्रो ममता त्रिवेदी, कोलंबो रिसर्च संस्थान के अंतरराष्ट्रीय अध्येता प्रो रवि वैथी, प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज से प्रो मधुरानी शुक्ला, हिमाचल साहित्य अकादमी सदस्य प्रो इंदर सिंह ठाकुर, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रोफेसर आलोक पांडेय जी, वीणा म्यूज़िक कंपनी के मालिक श्री मालू जी जयपुर से, पुणे विश्वविद्यालय हिंदी विभाग की प्रो. शशिकला राय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली के हिंदी विभाग के प्रोफेसर मुकेश मिरोठा जी, बनारस हिंदू युनिवर्सिटी के हिंदी विभाग से प्रोफेसर मनोज सिंह जी, प्रोफेसर आशीष त्रिपाठी जी, प्रोफ़ेसर सत्यपाल शर्मा जी, प्रोफ़ेसर प्रभाकर सिंह जी, अंग्रेज़ी विभाग से प्रोफेसर देवेंदर कुमार जी, गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से प्रोफेसर वी. के. मिश्रा जी, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से प्रोफेसर शैलेश जी, सिक्किम विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग से प्रो. सौरभ जी, शिरुर के सी. टी.बोरा महाविद्यालय से डॉ ईश्वर पवार, अहमदनगर से डॉ पुरषोत्तम कुंदे, मुंबई से वरिष्ठ साहित्यकार श्री रमण मिश्र जी, श्री अनुप सेठी जी के साथ- साथ मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध कई महाविद्यालयों के प्राध्यापक बड़ी संख्या में सहभागी रहे ।
                               मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी अध्ययन मंडल अध्यक्ष डॉ अनिल सिंह, के. जे. सोमैया महाविद्यालय के हिंदी विभगाध्यक्ष डॉ सतीश पांडेय जी , अंग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष डॉ एस. के. गौर जी, अग्रवाल महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ अनीता मन्ना जी, उप प्राचार्य डॉ राज बहादुर सिंह, डॉ महेश भिवंडीकर , डॉ अनघा राने की देख रेख में परिसंवाद । महाविद्यालय के सभी शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी एवं छात्र आयोजन को लेकर उत्साहित रहे । महाविद्यालय प्रबंधन समिति इस आयोजन को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी । यह वर्ष महाविद्यालय अपनी स्थापना के पच्चीस वर्ष पूरे कर रहा है । अतः यह आयोजन महाविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण रहा
                 इस परिसंवाद से जो बाते प्रमुखता से निकलकर आयीं वो निम्नलिखित हैं ।
·         क्षेत्रीय भाषा के सिनेमा को अधिक अवसर मिलने चाहिए ।
·         क्षेत्रीय भाषा के सिनेमा को अधिक सरकारी सहायता मिलनी चाहिए ।
·         क्षेत्रीय भाषा के सिनेमा का डिजिटल संरक्षण होना चाहिए ।
·         क्षेत्रीय भाषा के सिनेमा को राष्ट्रीय प्लैटफ़ार्म पर बड़े अवसर मिलने चाहिए ।
·         क्षेत्रीय भाषा के सिनेमा को राष्ट्रीय भावों और विचारों से जोड़ना चाहिए ।
·         क्षेत्रीय भाषा के सिनेमा को आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए ।
·         क्षेत्रीय भाषा के सिनेमा को तकनीकी सहायता भी मिलनी चाहिए ।
·         क्षेत्रीय भाषा के सिनेमा को राष्ट्रीय विषयों का विरोधी नहीं होना चाहिए ।
·         देशज भाषा के सिनेमा को भी संरक्षित करना चाहिए ।
·         लघु और डाकुमेंटरी सिनेमा को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
·         फिल्मों में नवाचार को बढ़ावा मिलना चाहिए ।
 
             इस तरह यह परिसंवाद अपने उद्देश्यों में पूरी तरह सफल होते हुए पूर्ण हुआ । ICSSRIMPRESS को ऐसे परिसंवादों को बढ़ावा देना चाहिए । महाविद्यालय आगे भी ऐसे आयोजन करते रहेगा ।

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