Thursday, July 20, 2017

पुष्प की अभिलाषा / माखनलाल चतुर्वेदी

चाह नहीं, मैं सुरबाला के 
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!

No comments:

Post a Comment

Alfraganus University में व्याख्यान

 🔴HINDISTON | MA'RUZA 🟤Bugun Alfraganus universitetiga xalqaro hamkorlik doirasida Hindistonning Mumbay shtati Maharashtra shahrida jo...