Thursday, July 3, 2025

दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य (जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में )

 

दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद

निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य

(जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में )

दिनांक : 16-17 जनवरी 2026

प्रस्तावना :

           हिंदी कथा-साहित्य में यथार्थवाद की सशक्त परंपरा को आगे बढ़ाने वाले कथाकारों में अमरकांत एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज की संवेदी बनावट, अंतर्विरोध, संघर्ष और मूल्यगत विघटन को सघनता और ईमानदार दृष्टि से प्रस्तुत किया। उनके पात्र कोई 'विशिष्ट' या 'विलक्षण' व्यक्ति नहीं, बल्कि वही सामान्य जन हैं जो भारत की सड़कों, गलियों, मोहल्लों, चाय की दुकानों और सरकारी दफ्तरों में जीते हैं — थकते हैं, लड़ते हैं, हारते हैं और फिर उठते हैं।

         अमरकांत की कहानियाँ— जैसेदोपहर का भोजन”, “जिंदगी और जोंक”, “हत्यारे” आदि — भारतीय समाज के उस वर्ग की प्रतीकात्मक जीवन-गाथाएँ हैं जिन्हें न तो साहित्य में पर्याप्त स्थान मिला और न ही सामाजिक विमर्श में कोई खास आवाज। यह वर्ग आर्थिक रूप से सीमित, सांस्कृतिक रूप से जूझता हुआ और नैतिकता के संकट से घिरा हुआ है, परंतु फिर भी संवेदना, श्रम और स्वाभिमान के बल पर अपने जीवन को जीने की कोशिश करता है। अमरकांत ने इसी वर्ग के भीतर की अदृश्य वेदना और प्रतिरोध को अपनी लेखनी से उजागर किया।

इस दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का उद्देश्य है :

·         अमरकांत की साहित्यिक दृष्टि को सामाजिक संरचना के परिप्रेक्ष्य में समझना ।

·         निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज की समस्याओं और चेतना का गहन विश्लेषण करना ।

·          यह जानना कि वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अमरकांत का साहित्य कितना प्रासंगिक और मार्गदर्शक है।

               आज जब भारत तेज़ी से आर्थिक वर्गों के पुनर्गठन और शहरीकरण के दौर से गुजर रहा है, तब यह अत्यंत आवश्यक है कि हम उस साहित्य को पुनर्पाठ करें जो भारतीय समाज की बुनियादी परतों को उजागर करता है — नारेबाज़ी से दूर, आत्मा के निकट। इस परिसंवाद में देशभर के साहित्यकार, आलोचक, समाजशास्त्री, शोधार्थी और हिंदीप्रेमी अमरकांत के साहित्य और उनके समाज दृष्टिकोण पर विचार-विमर्श करेंगे। यह न केवल अमरकांत को शताब्दी वर्ष की श्रद्धांजलि होगी, बल्कि हिंदी साहित्य को सामाजिक नीतियों और मानवीय दृष्टिकोण से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास भी।

आलेख लिखने हेतु  उप विषय :

  1. अमरकांत की कहानियों में निम्न मध्यवर्गीय मनोविज्ञान
  2. जिंदगी और जोंक’ और 'हत्यारे' जैसे पात्रों के माध्यम से सामाजिक अन्याय की पड़ताल
  3. आर्थिक संकट और नैतिक द्वंद्व: अमरकांत के पात्रों की आंतरिक संघर्ष गाथा
  4. अमरकांत और प्रेमचंद: यथार्थवादी परंपरा का विकास
  5. नारी और निम्न मध्यवर्ग: अमरकांत की कहानियों में स्त्री संवेदना
  6. शहरीकरण, बेरोजगारी और विस्थापन का चित्रण
  7. अमरकांत की दृष्टि में सांप्रदायिकता और सामाजिक तटस्थता
  8. हिंदी कथा साहित्य में 'सामान्यजन' का उद्भव: अमरकांत के संदर्भ में
  9. विकास और मूल्यहीनता के बीच फंसा समाज: अमरकांत की दृष्टि से
  10. वर्तमान कहानी लेखन में अमरकांत की छाया और प्रभाव
  11. कहानी में भाषा और शैली: अमरकांत की सहजता और कथ्य की प्रामाणिकता
  12. हाशिए के लोग, हाशिए की भाषा: अमरकांत और सामाजिक समरसता
  13. नवउदारवादी समय में अमरकांत का साहित्यिक प्रतिरोध
  14. पत्रकारिता से साहित्य तक: अमरकांत की वैचारिक यात्रा
  15. अमरकांत की कहानियों का दृश्यात्मक विश्लेषण: रंगमंच और फिल्म संभावनाएं
  16. “निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य”
  17. नारी और निम्न मध्यवर्ग: अमरकांत की कहानियों में स्त्री संवेदना
  18. शहरीकरण, बेरोजगारी और विस्थापन का चित्रण
  19. अमरकांत की दृष्टि में सांप्रदायिकता और सामाजिक तटस्थता
  20. हिंदी कथा साहित्य में 'सामान्यजन' का उद्भव: अमरकांत के संदर्भ में
  21. विकास और मूल्यहीनता के बीच फंसा समाज: अमरकांत की दृष्टि से
  22. वर्तमान कहानी लेखन में अमरकांत की छाया और प्रभाव
  23. कहानी में भाषा और शैली: अमरकांत की सहजता और कथ्य की प्रामाणिकता
  24. हाशिए के लोग, हाशिए की भाषा: अमरकांत और सामाजिक समरसता
  25. अमरकांत की कहानियाँ 
  26. अमरकांत के उपन्यास 
  27. अमरकांत का बाल साहित्य 
      आलेख  10 अक्टूबर 2025 तक manishmuntazir@gmail.com पर भेजे जा सकते हैं । 
       आलेख यूनिकोड मंगल फॉन्ट में ही भेजें । 
      आलेख की word फ़ाइल भेजें ना कि pdf .
      चुने हुए आलेखों को ISBN पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा । 

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा 
8090100900 
                                

Monday, May 5, 2025

Report January to May 2025

 National/ International Conference:

Participated in one day International Conference through online mode organized by S.B. College, Sahapur, India as a Subject Expert and delivered the lecture on Research Methodology and Hindi on 26 April 2025.

Participated in Two days National Conference on 8 March 2025 organized by Govt. Arya Degree College, Nurpur, Kangra (H.P.), India and delivered lecture ( online) on Moral Values and environmental Sustainability.

Participated in Hindi Sevi Samman on 16th January 2025, organized by Indian Embassy Tashkent, Uzbekistan and Tashkent state university of Oriental studies. Felicitated by Antarrashtriy Hindi Sevi Samman 2025.

Publication:

Article published in international journal VISHWA on Lal Bahadur Shastri School in January 2025. ISSN 25721569.

Others:

Participated in syllabus framing committee meeting (online) of YCMOU University, Nashik, India on 15,16&17 January 2025.

Participated in syllabus framing committee of Wilson College, Mumbai (online) on 21 April 2025.


Thursday, March 13, 2025

Govt. Arya Degree College, Nurpur, Kangra (H.P.) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद

 दिनांक 8 मार्च 2025 को Govt. Arya Degree College, Nurpur, Kangra (H.P.) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद में "नैतिक मूल्य और पर्यावरण संरक्षण" पर अपनी बात रखने का अवसर मिला। अग्रज और प्राचार्य डॉ अनिल ठाकुर जी / Anil K. Thakur जी का आभार ।





Thursday, January 16, 2025

डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित 
























दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज में आयोजित सम्मान समारोह में डॉ मनीष कुमार मिश्रा को उनकी हिन्दी सेवाओं के लिए भारतीय दूतावास, ताशकंद द्वारा "अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025" से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें उज़्बेकिस्तान में भारतीय राजदूतावास के सेकेंड सेक्रेटरी श्रीमान श्रीनिवास जी द्वारा प्रदान किया गया। विश्व हिन्दी दिवस कार्यक्रम की श्रृंखला में भारतीय दूतावास के सौजन्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा विगत एक वर्ष से भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के हिन्दी चेयर पर विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज में कार्यरत हैं। यहां कार्यरत रहते हुए आप ने कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अकादमिक कार्यक्रमों का सफलता पूर्वक आयोजन किया। उज़्बेकिस्तान में हिंदी बोलियों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण शोध कार्य भी आप यहां के 'लोले समुदाय' के संदर्भ में कर रहे हैं। उज़्बेकिस्तान में हिंदी की दशा और दिशा तथा राज कपूर शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में राज कपूर पर एक अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का भी आपने सफलतापूर्वक आयोजन किया। उज़्बेकिस्तान और भारत को लेकर आप के कुछ शोध आलेख गगनांचल और प्रवासी जगत जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए । 

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा द्वारा संपादित लगभग 30 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आप के दो कविता संग्रह, एक ग़ज़ल संग्रह और एक कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं । आप के कविता संग्रह पर आप को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा संत नामदेव पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।


Saturday, January 4, 2025

विश्वा अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के जनवरी 2025


















 विश्वा अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के जनवरी 2025 अंक में मेरे द्वारा लिखे आलेख"लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय" को प्रकाशित करने के लिए पत्रिका का आभार। लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में कार्यरत है। यहां कक्षा 5 से कक्षा 11 तक हिन्दी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।

Friday, January 3, 2025

आर के तलरेजा महाविद्यालय में व्याख्यान

 दिनांक 3 जनवरी 2025 को आर के तलरेजा महाविद्यालय, उल्हासनगर में विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष व्याख्यान के लिए जाना हुआ । विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर संतोष मोटवानी जी और डॉ रीना सिंह मैडम से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। महाविद्यालय के प्राचार्य एवं उप प्राचार्य भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। छात्रों से संवाद हमेशा सुखद अनुभूति का विषय रहता है।








YCMOU SYLLABUS COMMITTEE