Wednesday, August 13, 2025

IICAS SAMARKAND CONFERENCE LETTER


 

दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य (जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में )





दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद 

निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य 

(जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में ) 

दिनांक : 16-17 जनवरी 2026 

      आप लोगों को बताते हुए खुशी हो रही है कि ICSSR, नई दिल्ली एवं हिन्दी विभाग, के एम् अग्रवाल महाविद्यालय, कल्याण - पश्चिम, महाराष्ट्र के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 16-17 जनवरी 2026 को दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया जा रहा है।

अमरकांत जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित होनेवाले इस परिसंवाद का मुख्य विषय है - 

"निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य।"

परिसंवाद हेतु अमरकांत के साहित्य पर केंद्रित शोधालेख आमंत्रित हैं ।

शोधालेख मौलिक और अप्रकाशित होने चाहिए।

शोधालेख कम से कम 1500 शब्दों और अधिकतम 3000 शब्दों का ही हो ।

शोधालेख यूनिकोड मंगल में फ़ॉन्ट साईज 12 के साथ टाईप कर वर्ड फाइल के रूप में manishmuntazir@gmail.com इस ईमेल पर 30 सितंबर 2025 तक भेजे जा सकते हैं।

चुने हुए आलेखों को ISBN पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा ।

शोधालेख लिखने के लिए कुछ उप विषय निम्नलिखित हैं । इन विषयों के अतिरिक्त भी किसी विषय पर संयोजक की अनुमति से आलेख लिखे जा सकते हैं।

अमरकांत की कहानियों में निम्न मध्यवर्गीय मनोविज्ञान ।

‘जिंदगी और जोंक’ और 'हत्यारे' जैसे पात्रों के माध्यम से सामाजिक अन्याय की पड़ताल ।

आर्थिक संकट और नैतिक द्वंद्व: अमरकांत के पात्रों की आंतरिक संघर्ष गाथा

अमरकांत और प्रेमचंद: यथार्थवादी परंपरा का विकास

नारी और निम्न मध्यवर्ग: अमरकांत की कहानियों में स्त्री संवेदना

शहरीकरण, बेरोजगारी और विस्थापन का चित्रण

अमरकांत की दृष्टि में सांप्रदायिकता और सामाजिक तटस्थता

हिंदी कथा साहित्य में 'सामान्यजन' का उद्भव: अमरकांत के संदर्भ में

विकास और मूल्यहीनता के बीच फंसा समाज: अमरकांत की दृष्टि से

वर्तमान कहानी लेखन में अमरकांत की छाया और प्रभाव

कहानी में भाषा और शैली: अमरकांत की सहजता और कथ्य की प्रामाणिकता

हाशिए के लोग, हाशिए की भाषा: अमरकांत और सामाजिक समरसता

नवउदारवादी समय में अमरकांत का साहित्यिक प्रतिरोध

पत्रकारिता से साहित्य तक: अमरकांत की वैचारिक यात्रा

अमरकांत की कहानियों का दृश्यात्मक विश्लेषण: रंगमंच और फिल्म 

https://docs.google.com/forms/d/1zv0on0sb9R_biNJe6dtUNxcfF3Kp-cMTManIXhx2nTc/viewform 

SYBA SYLLABUS WORKSHOP CERTIFICATE


 

Thursday, July 3, 2025

दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य (जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में )

 

दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद

निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य

(जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में )

दिनांक : 16-17 जनवरी 2026

प्रस्तावना :

           हिंदी कथा-साहित्य में यथार्थवाद की सशक्त परंपरा को आगे बढ़ाने वाले कथाकारों में अमरकांत एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज की संवेदी बनावट, अंतर्विरोध, संघर्ष और मूल्यगत विघटन को सघनता और ईमानदार दृष्टि से प्रस्तुत किया। उनके पात्र कोई 'विशिष्ट' या 'विलक्षण' व्यक्ति नहीं, बल्कि वही सामान्य जन हैं जो भारत की सड़कों, गलियों, मोहल्लों, चाय की दुकानों और सरकारी दफ्तरों में जीते हैं — थकते हैं, लड़ते हैं, हारते हैं और फिर उठते हैं।

         अमरकांत की कहानियाँ— जैसेदोपहर का भोजन”, “जिंदगी और जोंक”, “हत्यारे” आदि — भारतीय समाज के उस वर्ग की प्रतीकात्मक जीवन-गाथाएँ हैं जिन्हें न तो साहित्य में पर्याप्त स्थान मिला और न ही सामाजिक विमर्श में कोई खास आवाज। यह वर्ग आर्थिक रूप से सीमित, सांस्कृतिक रूप से जूझता हुआ और नैतिकता के संकट से घिरा हुआ है, परंतु फिर भी संवेदना, श्रम और स्वाभिमान के बल पर अपने जीवन को जीने की कोशिश करता है। अमरकांत ने इसी वर्ग के भीतर की अदृश्य वेदना और प्रतिरोध को अपनी लेखनी से उजागर किया।

इस दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का उद्देश्य है :

·         अमरकांत की साहित्यिक दृष्टि को सामाजिक संरचना के परिप्रेक्ष्य में समझना ।

·         निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज की समस्याओं और चेतना का गहन विश्लेषण करना ।

·          यह जानना कि वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अमरकांत का साहित्य कितना प्रासंगिक और मार्गदर्शक है।

               आज जब भारत तेज़ी से आर्थिक वर्गों के पुनर्गठन और शहरीकरण के दौर से गुजर रहा है, तब यह अत्यंत आवश्यक है कि हम उस साहित्य को पुनर्पाठ करें जो भारतीय समाज की बुनियादी परतों को उजागर करता है — नारेबाज़ी से दूर, आत्मा के निकट। इस परिसंवाद में देशभर के साहित्यकार, आलोचक, समाजशास्त्री, शोधार्थी और हिंदीप्रेमी अमरकांत के साहित्य और उनके समाज दृष्टिकोण पर विचार-विमर्श करेंगे। यह न केवल अमरकांत को शताब्दी वर्ष की श्रद्धांजलि होगी, बल्कि हिंदी साहित्य को सामाजिक नीतियों और मानवीय दृष्टिकोण से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास भी।

आलेख लिखने हेतु  उप विषय :

  1. अमरकांत की कहानियों में निम्न मध्यवर्गीय मनोविज्ञान
  2. जिंदगी और जोंक’ और 'हत्यारे' जैसे पात्रों के माध्यम से सामाजिक अन्याय की पड़ताल
  3. आर्थिक संकट और नैतिक द्वंद्व: अमरकांत के पात्रों की आंतरिक संघर्ष गाथा
  4. अमरकांत और प्रेमचंद: यथार्थवादी परंपरा का विकास
  5. नारी और निम्न मध्यवर्ग: अमरकांत की कहानियों में स्त्री संवेदना
  6. शहरीकरण, बेरोजगारी और विस्थापन का चित्रण
  7. अमरकांत की दृष्टि में सांप्रदायिकता और सामाजिक तटस्थता
  8. हिंदी कथा साहित्य में 'सामान्यजन' का उद्भव: अमरकांत के संदर्भ में
  9. विकास और मूल्यहीनता के बीच फंसा समाज: अमरकांत की दृष्टि से
  10. वर्तमान कहानी लेखन में अमरकांत की छाया और प्रभाव
  11. कहानी में भाषा और शैली: अमरकांत की सहजता और कथ्य की प्रामाणिकता
  12. हाशिए के लोग, हाशिए की भाषा: अमरकांत और सामाजिक समरसता
  13. नवउदारवादी समय में अमरकांत का साहित्यिक प्रतिरोध
  14. पत्रकारिता से साहित्य तक: अमरकांत की वैचारिक यात्रा
  15. अमरकांत की कहानियों का दृश्यात्मक विश्लेषण: रंगमंच और फिल्म संभावनाएं
  16. “निम्न मध्यवर्गीय भारतीय समाज और अमरकांत का साहित्य”
  17. नारी और निम्न मध्यवर्ग: अमरकांत की कहानियों में स्त्री संवेदना
  18. शहरीकरण, बेरोजगारी और विस्थापन का चित्रण
  19. अमरकांत की दृष्टि में सांप्रदायिकता और सामाजिक तटस्थता
  20. हिंदी कथा साहित्य में 'सामान्यजन' का उद्भव: अमरकांत के संदर्भ में
  21. विकास और मूल्यहीनता के बीच फंसा समाज: अमरकांत की दृष्टि से
  22. वर्तमान कहानी लेखन में अमरकांत की छाया और प्रभाव
  23. कहानी में भाषा और शैली: अमरकांत की सहजता और कथ्य की प्रामाणिकता
  24. हाशिए के लोग, हाशिए की भाषा: अमरकांत और सामाजिक समरसता
  25. अमरकांत की कहानियाँ 
  26. अमरकांत के उपन्यास 
  27. अमरकांत का बाल साहित्य 
      आलेख  10 अक्टूबर 2025 तक manishmuntazir@gmail.com पर भेजे जा सकते हैं । 
       आलेख यूनिकोड मंगल फॉन्ट में ही भेजें । 
      आलेख की word फ़ाइल भेजें ना कि pdf .
      चुने हुए आलेखों को ISBN पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा । 

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा 
8090100900 
                                

Monday, May 5, 2025

Report January to May 2025

 National/ International Conference:

Participated in one day International Conference through online mode organized by S.B. College, Sahapur, India as a Subject Expert and delivered the lecture on Research Methodology and Hindi on 26 April 2025.

Participated in Two days National Conference on 8 March 2025 organized by Govt. Arya Degree College, Nurpur, Kangra (H.P.), India and delivered lecture ( online) on Moral Values and environmental Sustainability.

Participated in Hindi Sevi Samman on 16th January 2025, organized by Indian Embassy Tashkent, Uzbekistan and Tashkent state university of Oriental studies. Felicitated by Antarrashtriy Hindi Sevi Samman 2025.

Publication:

Article published in international journal VISHWA on Lal Bahadur Shastri School in January 2025. ISSN 25721569.

Others:

Participated in syllabus framing committee meeting (online) of YCMOU University, Nashik, India on 15,16&17 January 2025.

Participated in syllabus framing committee of Wilson College, Mumbai (online) on 21 April 2025.