Sunday, May 8, 2022

अटल जी कविताओं में निहित उदात्त मानवीय चेतना डॉ. मनीष कुमार मिश्रा

                                 

अटल जी कविताओं में निहित उदात्त मानवीय चेतना

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा



                              भूतपूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी जैसा कद्दावर राजनेता भारतीय राजनीति में दुर्लभ है I उन्होंने अपनी छवि से भारत की राजनीतिक छवि को बदलने का प्रयास किया I अटल जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिनका सभी राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग सम्मान करते थे, फिर चाहे वह विरोधी पार्टियों के लोग हों या फिर उनके साथ सरकार में बैठे हुए सहयोगी दल के साथी I हमेशा किसी भी राजनेता ने जब भी अटल जी की बात की है तो अटल को “अटल जी” ही कहा है I यह उनके व्यक्तित्व की खूबी थी I यह भाषा पर उनके प्रभुत्व और उनकी कार्य करने की शैली थी कि वे भारतीय राजनीति में अजातशत्रु रहे I सब को साथ लेकर चलने की बात वे अपनी निम्नलिखित कविता के माध्यम से भी करते हैं-

क़दम मिला कर चलना होगा


“बाधाएँ आती हैं आएँ

घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,

पावों के नीचे अंगारे,

सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,

निज हाथों में हँसते-हँसते,

आग लगाकर जलना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।


हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,

अगर असंख्यक बलिदानों में,

उद्यानों में, वीरानों में,

अपमानों में, सम्मानों में,

उन्नत मस्तक, उभरा सीना,

पीड़ाओं में पलना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।’’

           उन्होंने किसी को भी अपना शत्रु नहीं माना I  भारत-पाकिस्तान के बीच में जिस तरह की तनावपूर्ण स्थितियां उनके शासन में रही उससे हम सभी अवगत हैं, लेकिन उन स्थितियों के बीच में भी उन्होंने एक रास्ता निकाला और कश्मीरियत की  जो बात उन्होंने की, आज तक उसकी मिसाल दी जाती है I  अटल जी एक संवेदनशील व्यक्ति थे I  उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समय-समय पर अपने विचार व्यक्त किए I अटल जी की कविताएं प्रकाशित हैं, ये कविताएं ऑडियो वीडियो रूप में भी आ चुकी हैं I इन कविताओं पर तमाम समीक्षा की किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं I  लोगों ने समय-समय पर अटल जी की कविताओं को लेकर अपने विचार भी प्रस्तुत किए हैं I  

        बहुमुखी प्रतिभा के धनी आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी जैसे एक संवेदनशील  साहित्यकार की बात उनकी कविताओं के परिप्रेक्ष्य में करना ही उचित होगा I अटल जी के व्यक्तित्व को उनकी कविताओं के माध्यम से जानने और समझने का प्रयास अगर हम करें तो देखे पाएंगे कि अटल जी की पूरी सृजन साधना एक व्यक्ति के पूरे निर्माण की भी यात्रा है I  उनकी कविताओं में विशेष तौर का अनूठापन है जो अपने समय से संवाद करती हुई नजर आती है I अपने समय के कठिन सवालों से टकराती हुई नजर आती है I कई कविताओं में सूक्ष्म सांकेतिक पक्ष भी हमें नजर आता है I एक चित्रात्मक उनकी कविताओं से हमारे मन में  उतरती है I अटल जी कंठ और कलम के बेजोड़ जादूगर थे I उन्होंने सिर्फ रूमानियत की पगडंडी नहीं पकड़ी बल्कि जिंदगी के विस्तृत फलक पर जूझने और लड़ने की शक्ति देने वाली कविताओं के सृजन के माध्यम से जीवन की अर्थवत्ता का संदेश दिया I 

          अटल जी की कविताएं संदेश देती हैं , उनकी कविताएं जीने की राह प्रशस्त करते हुए हमें बताती हैं कि किस तरह भारत की गंगा जमुनी संस्कृति में शोषित और पीड़ितों और संघर्षशील लोगों के लिए हमें हमेशा खड़ा होना चाहिए I उन्हें किस तरह संबल प्रदान करना चाहिए I चारों तरफ फैली सांप्रदायिकता से इस देश को कैसे बचाया जाए, इसका भी जवाब अटल जी अपनी कविताओं के माध्यम से देते हैं I भ्रष्ट हो रही राजनीति एवं सांस्कृतिक गिरावट इत्यादि पर भी अटल जी अपनी कविताओं के माध्यम से बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखते हैं I 

           अटल जी का एक साहित्यकार के रूप में मूल्यांकन उनके व्यक्तित्व  विस्तार की दिशा को समझे बिना संभव नहीं है I आज की हमारी राजनीति जो कि मोटे तौर पर सिर्फ जमने और उखाड़ने की राजनीति बन गई है, ऐसी भ्रष्ट और निम्न मानसिकता वाली राजनीति में अटल जी जैसे लोग वास्तव में कमल के पुष्प की तरह ही होते हैं I वह कीचड़ में भी रहकर उसके प्रभाव से बचे रहते हैं I आप का विचारों के वैभव से परिपूर्ण जीवन इस बात की गवाही देता है, इसकी पुष्टि करता है I अटल जी की कविताएं अपने अपने समय और समाज के  सरोकारों से जुड़ी हुई दिखाई पड़ती हैं I कुछ स्थानों पर आप की कवितायेँ वैचारिक अतिक्रमण भी करती हुई दिखाई पड़ती हैं I उचित अनुचित के अंतर को भलीभांति समझते हुए भी समाज हित को प्रमुखता देने वाले अटल बिहारी बाजपेयी अपनी कविताओं के माध्यम से एक सांस्कृतिक चेतना प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं I 

         अटल जी अपनी कविताओं के माध्यम से एक विश्वास पैदा करने का काम करते हैं I हम जानते हैं कि साहित्य समाज और संस्कृति का आपस में बड़ा ही घनिष्ट संबंध है I यह एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं I सामाजिक जीवन की गतिविधियों की स्पष्ट छाप आपके विचारों पर देखी जा सकती है I आपकी कविताओं में समाज को बदल देने की अपार ऊर्जा निहित है I किसी देश या राज्य का जन जीवन किस तरह से अनुप्राणित होता है ? कैसे परिमार्जित और परिष्कृत होता है ? यह आपकी कविताओं के माध्यम से भली भांति समझा जा सकता है I  साहित्यकार अपने समाज से ही अनुभव ग्रहण करता है और उसे अपनी कलात्मक प्रतिभा के संस्पर्श से प्राणवान बनाकर पुनः समाज को समर्पित कर देता है I सृजन के इस धरातल पर साहित्यकार के व्यक्तिगत अनुभव सार्वजानिक बनकर प्रस्तुत होते हैं I अटल जी की कविताओं में यह क्षमता बहुत अधिक जीवंत रूप में दिखाई पड़ती है I उन्होंने एक कवि के रूप में जो विरासत हमारे लिए छोड़ी है, वह हमारी इंद्रधनुषी संस्कृति में एकता, अखंडता और संप्रभुता का संचार करती है I 

           वह हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, जीवन की तमाम जटिलताओं के बावजूद जीवन को अपने संघर्षों के द्वारा अधिक से अधिक सुंदर बनाने की यात्रा अटल जी की काव्य यात्रा कही जा सकती है I हम जानते हैं कि अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी पहचान है I विभिन्न धर्मों, जातियों एवं संप्रदायों ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है I इसलिए संपूर्ण देश के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन का  मौलिक आधार एकता है I अटल जी किसी भी चीज को समग्रता में देखने के हिमायती थे I

          अटल जी ने अपनी सक्रियता के माध्यम से उन्होंने हमें यह सिखाया कि हमें सदैव आशावादी होना चाहिए I हमें अपने सपनों का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए I हम अपने जीवन में कुछ अर्थ अपने कार्यों के माध्यम से ही भर सकते हैं, अन्यथा कर्म हीनता के कारण हमारा जीवन निरर्थक ही कहलाएगा I हमें अपने परिवार, समाज और देश का ऋण चुकाना चाहिए और इसका सबसे महत्वपूर्ण और उपयोगी अस्त्र हमारी कर्मशीलता ही है I अपनी सृजनात्मक शक्तियों को संचित करके अगर हम समाज को सिंचित करेंगे तो निश्चित ही उसके परिणाम बड़े ही फलदाई होंगे I  हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि संस्कृति एक और मानव को बाह्य प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए सतत कर्मशील बने रहने की प्रेरणा देती है और दूसरी ओर अंतः प्रकृति की मूल विकृतियों काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष इत्यादि को संयमित करके अंतः करण को श्रेष्ठ बनाती है I इस प्रकार बाह्य जगत और अंतर जगत का श्रेष्ठ संतुलित और शुद्ध विकास ही संस्कृति है I बार बार सकारात्मक प्रयास का संदेश वे अपनी निम्नलिखित कविता के माध्यम से देते हैं – 

आओ फिर से दिया जलाएँ


“आओ फिर से दिया जलाएँ

भरी दुपहरी में अँधियारा

सूरज परछाई से हारा

अंतरतम का नेह निचोड़ें-

बुझी हुई बाती सुलगाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ


हम पड़ाव को समझे मंज़िल

लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल

वर्त्तमान के मोहजाल में-

आने वाला कल न भुलाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ।’’

            नैतिकता एवं मानव मूल्यों के माध्यम से संस्कृति मानव मन का परिष्कार करती है I जिस कवि का व्यक्तित्व जितना ही अधिक सुसंस्कृत गुणों से संपन्न समृद्ध बनता है , उसकी रचनाओं में सांस्कृतिक स्वर उतना ही अधिक बुलंद होता है I अटल जी की कविताओं में यह स्वर निश्चित तौर पर बहुत बुलंद दिखाई पड़ता है I  अगर हम अटल जी की तुलना ओजस्विता के परिप्रेक्ष्य में किसी दूसरे भारतीय कवि से करें तो मेरी दृष्टि में दो नाम बड़े महत्वपूर्ण होते हैं I एक महाप्राण निराला और उनसे भी बड़ा नाम गुरुवर रविंद्रनाथ टैगोर का I   निश्चित तौर पर कवि के रूप में इनकी छवि अटल जी से बहुत बड़ी है लेकिन जिस तरह की दृढ़ता, जिस तरह का विश्वास और जिस तरह की ओजस्विता अटल जी की कविताओं में है निश्चित तौर पर यह हमें इन महान कवियों की स्मृति तो करा ही देती है I अटल जी की कविताओं में राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक चेतना दो रूपों में अभिव्यक्त हुई I एक ओर उन्होंने भारतीय स्वर्णिम अतीत की चर्चा कर भारतीय संस्कृति की गरिमा के चित्र अंकित किए हैं तो दूसरी ओर देशव्यापी भ्रष्टाचार एवं सांप्रदायिकता के विरोध में विश्व शांति के समर्थक भी नजर आते हैं I 

            लेकिन यह शांति अपनी अस्मिता को कुर्बान करके नहीं प्राप्त करना चाहते I  जहां भी अपनी एकता, अखंडता और संप्रभुता की बात आयी, अटल जी ने निरंतर संघर्ष की बात को प्रमुखता दी I उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से जीवन का जो गान प्रस्तुत किया है वह भारत के वर्तमान का वास्तविक चित्र प्रस्तुत करता है I  उन्होंने यहां की परिस्थितियों को समझते हुए अपनी सामाजिक संवेदना और चेतना का विस्तार कर कविता के रूप में उन्हें स्वर देने का काम किया है I अटल जी देश के खोए हुए स्वाभिमान की पुनर्स्थापना के लिए जनमानस के अंदर नवजागरण का संदेश अपनी कविताओं के माध्यम से देते हैं I राष्ट्रीयता का संदेश उनकी कविताओं में मुख्य रूप से परिलक्षित होता है I उन्होंने देश प्रेम को सर्वोपरि बताया, अतीत के गुड़गान से भावी राष्ट्र के सपनों के बीज बोए I  ‘गीत नया गाता हूं’ जैसी पंक्तियां यह बताने में सक्षम हैं कि तमाम आर्थिक विरोधाभास, राजनीतिक भ्रष्टाचार इत्यादि के बावजूद नए अवसरों की तलाश में वे निरंतर लगे रहे, जिससे वे देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति को बदल सकें I जिससे भविष्य का एक सुंदर खांचा खींचा जा सके I 

            मनुष्य और उसके जीवन का यथार्थ बड़ी ही सूक्ष्मता के साथ उनकी कविताओं में व्यक्त हुआ है I उनकी कविताओं में व्यक्तिगत जीवन के विभिन्न रूपों का भावपूर्ण अंकन  दिखाई पड़ता है I अटल जी की कविताओं में उनके बहुआयामी व्यक्तित्व का पूर्ण चित्र अपने उदात्त और सशक्त रूप में हमारे सामने आता है I अटल जी की कविताओं को पढ़ते हुए हम अपने अंदर नई शक्ति का संचार होते हुए देखते हैं I उनकी कविताओं में एक सम्मोहन है I  आप उसके मोहपाश में बंध जाते हैं I उसमें संगीत की मधुरता भी है I अटल जी के शब्द चयन बहुत ही समृद्ध हैं I अनुभूति और अभिव्यक्ति दोनों धरातल पर अटल जी की कविताएं व्यापक तथा वैभवपूर्ण हैं I उसे किसी एक शोध पत्र के माध्यम से चित्रित करना इतना सहज और आसान नहीं है I अटल जी की कविताएं राष्ट्र के गौरव का प्रतीक हैं I एक कवि के रूप में उनके विचार अनुकरणीय और हमें बहुत कुछ सिखाने वाले हैं I अटल जी की कविताओं के माध्यम से हम अटल जी के विचारों की भी बड़ी सूक्ष्मता से पड़ताल कर सकते हैं I  

               अटल जी की विदेश नीति, अर्थ संबंधी उनके संकल्प, उनकी राजनीतिक दृढ़ इच्छाशक्ति, सबके साथ समरसता का भाव इत्यादि बातें उनकी कविताओं के माध्यम से भी हम देख सकते हैं I बाधावों से लड़ते हुए नए के आग्रह का उनका भाव उनके प्रखर आशावाद का परिचायक है I इस सन्दर्भ में अटल जी की निम्नलिखित कविता के माध्यम से मैं अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा – 


गीत नया गाता हूँ


“टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर

पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर

झरे सब पीले पात

कोयल की कुहुक रात


प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ

गीत नया गाता हूँ


टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी

अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी

हार नहीं मानूँगा,

रार नई ठानूँगा,


काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ

गीत नया गाता हूँ “



डॉ.मनीष कुमार मिश्रा 

हिंदी व्याख्याता 

के एम् अग्रवाल महाविद्यालय 

कल्याण पश्चिम 

महाराष्ट्र 

मो. 9082556682


संदर्भ ग्रंथ : 

1. https://www.livehindustan.com/tags/meri-51-kavitayen-atal-bihari-vajpayee-pdf-download

2. https://www.scribd.com/doc/15272285/Atal-Bihari-Vajpayee-Kavita-Sangraha 

3. http://kavitakosh.org 

4. Atal Bihari Vajpayee: New Dimensions of India's Foreign Policy- Atal Bihari Vajpayee (with a Foreword by M.C. Chagla) Vision Books Private Limited, 36 C, Connaught Place, New Delhi-110001 1979

5. Rashtravadi Patrakarita ke Shikhar Purush : Atal Bihari Vajpayee (Hindi) Dr Saurabh Malviya Vani Prakashan, 4695, 21-A Dariyaganj, New Delhi 110002 2018

6. Atal Bihari Vajpayee : Meri Aastha Bharat (Tarun Vijay dwara liye gaye bahucharchit shreshth sakshatkar tatha avismarnia chaya chitra) (Hindi) Tarun Vijay Remadhav Publications (P) Ltd C 22 , RDC, Rajnagar, Ghaziabad- 201002 2010


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