हिन्दी–मराठी अनुवाद पर राज्यस्तरीय कार्यशाला सम्पन्न ।
महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी एवं के. एम. अग्रवाल महाविद्यालय, कल्याण (प.) के संयुक्त तत्त्वावधान में 15 नवम्बर 2025 को “हिन्दी–मराठी अनुवाद : सेतु, संवाद और संवेदना” विषय पर एक दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से बड़ी संख्या में प्राध्यापकों, अनुवादकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ( पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष,महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी) की अध्यक्षता में हुआ।महाविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय नारायण पंडित ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनुवाद दो भाषाओं के बीच मात्र शब्दों का स्थानांतरण नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों, संवेदनाओं और सामाजिक अनुभवों के बीच सेतु निर्माण की प्रक्रिया है। बीज वक्तव्य डॉ सतीश पाण्डेय ने दिया। आप ने हिन्दी मराठी अनुवाद के अनेकों उदाहरण देते हुए अनुवाद कार्य के लिए भाषा ज्ञान के साथ उसके सांस्कृतिक स्वरूप की जानकारी पर भी बल दिया। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ अनिता मन्ना जी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और महाविद्यालय की गतिविधियों की जानकारी दी । इस अवसर पर सह संयोजक डॉ सुजीत सिंह ने इस कार्यशाला के संपोषण के लिए अकादमी का आभार माना । महाविद्यालय की उप प्राचार्या डॉ अनघा राने एवं डॉ सुनील कुलकर्णी समेत कई प्राध्यापक इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रथम तकनीकी सत्र में डॉ. सुनील देवधर ने हिन्दी–मराठी अनुवाद की व्यावहारिक जटिलताओं और सांस्कृतिक बारीकियों पर प्रकाश डाला। इस सत्र का संचालन डॉ रीना सिंह ने किया । प्रोफ़ेसर संतोष मोटवानी एवं डॉ संतोष पवार ने भी आमंत्रित वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए।
द्वितीय सत्र की मुख्य वक्ता श्री प्रकाश भातम्ब्रेकर ने अनुवाद के सैद्धांतिक आयामों, तुलनात्मक साहित्य दृष्टि तथा डिजिटल अनुवाद उपकरणों की सीमाओं एवं संभावनाओं पर विस्तार से विचार व्यक्त किए। डॉ श्याम सुंदर पाण्डेय ने भी विशिष्ट वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए। प्राध्यापक उदय सिंह ने सत्र के सभी विद्वानों का महाविद्यालय की तरफ से स्वागत किया।
समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ सतीश पाण्डेय ने की। उन्होंने कहा कि हिन्दी और मराठी का संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक स्तर पर अत्यंत गहरा है, और अनुवाद इस संबंध को और अधिक जीवंत बनाता है।
आभार प्रदर्शन डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने किया। अकादमी के पदाधिकारियों ने आयोजन की सफलता पर संतोष व्यक्त किया।
कार्यशाला ने प्रतिभागियों में अनुवाद के प्रति नई दृष्टि, तकनीकी कौशल और पारस्परिक सहयोग की भावना विकसित की। यह आयोजन हिन्दी–मराठी साहित्यिक संवाद को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।
इस तरह प्रमाण पत्र वितरण के साथ यह एक दिवसीय अनुवाद कार्यशाला सम्पन्न हुई।









































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