Wednesday, February 19, 2020

अपने घर की तलाश में - निर्मला पुतुल । FYBA Compulsory Sem II

॥ अपने घर की तलाश में ॥

अंदर समेटे पूरा का पूरा घर
मैं बिखरी हूँ पूरे घर में
पर यह घर मेरा नहीं है

बरामदे पर खेलते बच्चे मेरे हैं
घर के बाहर लगी नेम-प्लेट मेरे पति की है

मैं धरती नहीं पूरी धरती होती है मेरे अंदर
पर यह नहीं होती मेरे लिए

कहीं कोई घर नहीं होता मेरा
बल्कि मैं होती हूँ स्वयं एक घर
जहाँ रहते हैं लोग निर्लिप्त
गर्भ से लेकर बिस्तर तक के बीच
कई-कई रूपों में...

धरती के इस छोर से उस छोर तक
मुट्ठी भर सवाल लिए मैं
छोड़ती-हाँफती-भागती
तलाश रही हूँ सदियों से निरंतर
अपनी ज़मीन, अपना घर
अपने होने का अर्थ!

✦ निर्मला पुतुल

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